अगर किसी में डायबिटीज के लक्षण नजर आते हैं, तो उन्हें डॉक्टर कई तरह के शुगर टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। इन टेस्ट के द्वारा अलग-अलग समय पर रक्त शुगर की मात्रा को मापा जा सकता है। ऐसा ही एक टेस्ट है, पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर टेस्ट।
इस टेस्ट को करने का एक निर्धारित समय और तरीका होता है। इसलिए, लेख में आगे हम पीपीबीएस टेस्ट कब करना चाहिए और पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर की प्रक्रिया के बारे में बता रहे हैं।
पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर टेस्ट क्या है?
पीपीबीएस या PPBS का फुल फॉर्म होता है, पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर। अगर आप सोच रहे हैं कि पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर यानी पीपीबीएस टेस्ट क्या है? तो आपको बता दें कि यह डायबिटीज की जांच के लिए किया जाने वाला एक तरह का ब्लड टेस्ट है। इस टेस्ट को खाने के 2 घंटे के बाद किया जाता है।
इस टेस्ट को यह पता करने के लिए किया जाता है कि खाना खाने के बाद आपका शरीर शुगर और स्टार्च के प्रति कैसी प्रतिक्रिया करता है। जैसे ही भोजन पेट में जाता है ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। इसी वृद्धि को पोस्ट-प्रैंडियल टेस्ट की मदद से देखा जा सकता है।
पीपीबीएस टेस्ट कब करना चाहिए?
यह टेस्ट खाने के 2 घंटे बाद किया जाता है। इस टेस्ट को करने के लिए 2 घंटे के बीच में पानी को छोड़कर किसी भी तरह के स्नैक्स या पेय पदार्थ का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। इस बात का पालन करने पर ही ब्लड शुगर लेवल का सही से पता चल सकता है।
डायबिटीज के लक्षण, शुगर लेवल की जांच और सही उपाय के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दिए गए विषयों को पढ़ें। सही जानकारी से अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं।
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पीपीबीएस टेस्ट कैसे किया जाता है?
इस शुगर टेस्ट को करने का तरीका काफी आसान होता है। हमने घर में और लैब दोनों ही जगहों में इस टेस्ट को करने के तरीके के बारे में जानकारी दी है।
लैब में करने का तरीका:
- लैब में ये टेस्ट कराने से दो घंटे पहले आप कुछ पौष्टिक आहार ले लें।
- अगर आप सुबह इस टेस्ट को करा रहे हैं तो दो घंटे पहले ब्रेकफास्ट कर लें। फिर दो घंटे तक किसी भी तरह का फिजिकल एक्सरसाइज न करें।
- जब आप लैब पहुंचेंगे तो लैब में डॉक्टर आपके बांह के नस से इंजेक्शन की मदद से रक्त का सैंपल लेंगे।
- इस ब्लड सैंपल को वे एक टेस्टिंग शीशी में कलेक्ट कर लेंगे।
- फिर इसे लैब में जांच के लिए भेज देंगे।
- इस टेस्ट का रिजल्ट शाम तक या अगले दिन तक आ जाता है।
घर में करने का तरीका:
- सुबह में अगर टेस्ट कर रहे हैं, तो दो घंटे पहले अच्छे से नाश्ता कर लें।
- फिर दो घंटे ज़्यादा फिजिकल एक्टिविटी न करें।
- दो घंटे बाद पीपीबीएस टेस्ट करने के लिए सबसे पहले ग्लूकोमीटर में टेस्टिंग स्ट्रिप डाल लें।
- फिर टेस्ट किट के लैंसेट (एक तरह का सुई) की मदद से अपनी उंगली पर सुई को चुभाएं।
- इसके बाद, टेस्ट किट के स्ट्रिप के किनारे पर ब्लड को लगाएं।
- ब्लड लगाते ही ग्लूकोमीटर पर एक बीप की साउंड आएगी, जिसके बाद ब्लड शुगर लेवल डिवाइस के स्क्रीन पर आ जाएगा।
पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर कितना होना चाहिए?
पीपीबीएस टेस्ट नॉर्मल रेंज कितना होना चाहिए और कितना बढ़ना या कम होना जोखिम हो सकता है। इसकी जानकारी नीचे दी गई है:
- एक स्वस्थ वयस्क का पीपीबीएस लेवल 140 mg/dL से कम होना, सामान्य माना जाता है।
- वहीं, जिन लोगों को डायबिटीज है उनका पीपीबीएस लेवल 180 mg/dL से कम होना सामान्य माना जाता है।
- अगर किसी वयस्क का पीपीबीएस लेवल 140 से 200 mg/dl के बीच है, तो वह प्री-डायबिटिक की श्रेणी में आता है।
- पीपीबीएस लेवल का 200 mg/dl या इससे ज्यादा होना डायबिटीज माना जाता है।
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पीपीबीएस टेस्ट के परिणाम को क्या प्रभावित कर सकता है?
पीपीबीएस टेस्ट के परिणाम को कई कारक प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए पीपीबीएस टेस्ट के दौरान इन कारकों को ध्यान में रखना जरूरी होता है:
- टेस्ट के अवधि के दौरान धूम्रपान करना।
- बहुत ज्यादा तनाव में रहना।
- खाने के बाद या टेस्ट से पहले स्नैक्स या कैंडी खाना।
- इस टेस्ट से दो घंटे पहले पर्याप्त मात्रा में भोजन न करना।
- परीक्षण अवधि के दौरान व्यायाम या योग करना।
पीपीबीएस टेस्ट से होने वाले जोखिम
वैसे तो पीपीबीएस टेस्ट को सुरक्षित माना जाता है, पर कुछ मामलों में इस तरह के जोखिम नजर आ सकते हैं।
- टेस्ट वाले भाग पर सूजन होना या खुजली महसूस होना।
- जहाँ से रक्त लिया जाता है वहां पर संक्रमण होना।
- सुई चुभाने से दर्द होना।
- खाना खाते समय उंगली में असहजता महसूस होना।
पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर टेस्ट को घर में भी आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए टेस्ट की सही प्रक्रिया का पता होना जरूरी है, जिसकी जानकारी हमने ऊपर लेख में दी है।
फिर भी बेहतर होगा कि पीपीबीएस टेस्ट के बारे में एक बार एक्सपर्ट से सलाह लें। आप एक्सपर्ट से सलाह लेने के लिए Phable ऐप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
सारांश पढ़ें
- पीपीबीएस टेस्ट को रक्त में शुगर की मात्रा को जांचने के लिए किया जाता है।
- इस टेस्ट को खाने के 2 घंटे बाद किया जाता है, जिससे कि शरीर में शुगर लेवल का पता लगाया जा सके।
- पीपीबीएस टेस्ट नॉर्मल रेंज एक वयस्क में 140 mg/dL से कम होता है। वहीं पीपीबीएस लेवल 140 से 200 mg/dl है, तो प्री-डायबिटिक और 200 mg/dl या इससे ज्यादा है, तो डायबिटिक माना जाता है।
- घर में पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर टेस्ट करने का तरीका खाना खाने के 2 घंटे बाद होता है। इस टेस्ट के लिए मीटर में टेस्टिंग स्ट्रिप डालकर किट के लैंसेट (एक तरह का सुई) को उंगली में धीरे से चुभोएं। फिर टेस्ट किट के स्ट्रिप के किनारे के भाग को रक्त से स्पर्श करें। इससे मीटर की स्क्रीन पर आपका ब्लड शुगर लेवल दिखाई देगा।
- पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर टेस्ट लैब में भी कराया जा सकता है।
- पीपीबीएस टेस्ट के परिणाम को धूम्रपान, तनाव, टेस्ट से पहले स्नैक्स लेना, व्यायाम, आदि प्रभावित कर सकता है।
- पीपीबीएस टेस्ट से होने वाले जोखिम में दर्द होना, सूजन होना, संक्रमण होना आदि शामिल है।
- अगर पीपीबीएस टेस्ट का परिणाम कम या ज़्यादा आता है, तो चिंतित न हों। इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
पीपीबीएस टेस्ट में आप क्या खा सकते हैं?
पीपीबीएस टेस्ट से पहले हेल्दी आहार जैसे – दाल, चावल,रोटी सब्जी, फल, सलाद लेना चाहिए।
आप पीपीबीएस टेस्ट कैसे करते हैं?
लैब में या घर में दोनों ही जगहों पर पीपीबीएस टेस्ट करने से दो घंटे पहले अच्छे से पौष्टिक आहार का सेवन कर लें। लैब में टेस्ट के दौरान एक्सपर्ट आपके बांह के नस से इंजेक्शन की मदद से रक्त का सैंपल लेते हैं। जिसे वे शीशी में कलेक्ट कर लैब में जांच के लिए भेजते हैं। वहीं, घर में ग्लूकोमीटर में टेस्टिंग स्ट्रिप डालकर किट के लैंसेट (एक तरह का सुई) को उंगली में चुभोकर टेस्ट किया जाता है। फिर जो ब्लड निकलता है उसे किट के स्ट्रिप के किनारे स्पर्श कराया जाता है। इससे बीप आवाज़ के साथ मीटर के स्क्रीन पर आपका ब्लड शुगर लेवल दिखाई देगा।
क्या हम पीपीबीएस टेस्ट से पहले पानी पी सकते हैं?
जी हाँ, आप पीपीबीएस टेस्ट से पहले पानी पी सकते हैं।
आप उच्च पीपीबीबीएस को कैसे नियंत्रित करते हैं?
उच्च पीपीबीएस को उचित आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि और पर्याप्त नींद की मदद से नियंत्रित कर सकते हैं। अगर ब्लड शुगर स्तर ज़्यादा बढ़ा हो तो आप इस बारे में Phable के जरिये डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं।
कौन सा महत्वपूर्ण है, फास्टिंग शुगर या पोस्टप्रैन्डियल?
फास्टिंग शुगर या पोस्टप्रैन्डियल दोनों ही टेस्ट महत्वपूर्ण हैं। फास्टिंग शुगर में लंबे समय के उपवास के बाद ब्लड शुगर लेवल को पता चलता है। वहीं, पोस्टप्रैन्डियल में खाने के बाद भोजन का शुगर लेवल पर किस तरह का प्रभाव होता है, इसका पता चलता है।
खाना खाने के 2 घंटे बाद शुगर कितनी होनी चाहिए?
खाना खाने के 2 घंटे बाद एक स्वस्थ वयस्क का शुगर लेवल 140 mg/dL से कम या 140 mg/dL होना चाहिए।
रैंडम ब्लड शुगर लेवल 180 हो तो क्या करें?
अगर रैंडम ब्लड शुगर लेवल 180 है, तो शुगर युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। साथ ही शुगर लेवल कम करने वाले खाद्य पदार्थों को लेना चाहिए और नियमित व्यायाम व सही रूटीन को फॉलो करना चाहिए। साथ ही आपको फास्टिंग और पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर टेस्ट करके ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर करते रहना चाहिए। अगर इन उपायों के बाद भी ब्लड शुगर लेवल बढ़ा रहता है, तो बेहतर है इस बारे में डॉक्टर से सलाह लें।